जाने कौन है मोहन यादव: छात्र राजनीति से शुरुआत, अब होंगे मध्य प्रदेश के सीएम

मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव 2023 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रचंड बहुमत हासिल किया। 163 सीटों के साथ भाजपा प्रदेश की सत्ता में वापसी करने में सफल रही। चुनाव के बाद से ही मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन 11 दिसंबर 2023 को मध्य प्रदेश भाजपा विधायक दल की बैठक में मोहन यादव ( Mohan Yadav ) को प्रदेश का नया मुख्यमंत्री चुना गया।

जाने कौन है मोहन यादव: छात्र राजनीति से शुरुआत, अब होंगे मध्य प्रदेश के सीएम
जाने कौन है मोहन यादव: छात्र राजनीति से शुरुआत, अब होंगे मध्य प्रदेश के सीएम

भोपाल : मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव 2023 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रचंड बहुमत हासिल किया। 163 सीटों के साथ भाजपा प्रदेश की सत्ता में वापसी करने में सफल रही। चुनाव के बाद से ही मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन 11 दिसंबर 2023 को मध्य प्रदेश भाजपा विधायक दल की बैठक में मोहन यादव ( Mohan Yadav ) को प्रदेश का नया मुख्यमंत्री चुना गया।

मोहन यादव का राजनीतिक सफर

मोहन यादव का जन्म 25 मार्च 1965 को मध्य प्रदेश के उज्जैन में हुआ था। उन्होंने माधव विज्ञान महाविद्यालय से स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई की। छात्र जीवन से ही वे राजनीति में सक्रिय थे। उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के माध्यम से छात्र राजनीति की शुरुआत की। एबीवीपी में वे उज्जैन नगर मंत्री, प्रदेश सहमंत्री और राष्ट्रीय मंत्री के पदों पर रह चुके हैं।

1997 में मोहन यादव भाजपा युवा मोर्चा (भाजयुमो) की प्रदेश समिति में शामिल हुए। 1998 में उन्हें पश्चिम रेलवे बोर्ड की सलाहकार समिति का सदस्य बनाया गया। 2004 से 2010 तक वे उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष (राज्यमंत्री दर्जा) रहे। 2011 से 2013 तक वे मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम, भोपाल के अध्यक्ष (कैबिनेट मंत्री दर्जा) रहे।

2013 में पहली बार मोहन यादव उज्जैन दक्षिण विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भी वे इसी सीट से विजयी रहे। 2020 में जब भाजपा ने मध्य प्रदेश में सरकार बनाई तो मोहन यादव को उच्च शिक्षा मंत्री बनाया गया।

मोहन यादव के विवादित बयान

मोहन यादव अपने विवादित बयानों के लिए भी जाने जाते हैं। 2021 में उन्होंने मां सीता को लेकर एक विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि मर्यादा के कारण भगवान राम को सीता को छोड़ना पड़ा था। उन्होंने कहा कि आज के दौर में यह जीवन तलाक के बाद की जिंदगी जैसा है।

इस बयान के बाद मोहन यादव कि काफी निंदा हुई थी। कांग्रेस ने उन्हें इस्तीफा देने की मांग की थी। लेकिन मोहन यादव ने अपने बयान पर कोई सफाई नहीं दी।

मोहन यादव के सामने चुनौतियां

मोहन यादव के सामने मध्य प्रदेश में विकास और कानून व्यवस्था को दुरुस्त करना सबसे बड़ी चुनौती होगी। इसके अलावा उन्हें 2024 के लोकसभा चुनावों में भी भाजपा की जीत सुनिश्चित करनी होगी।

मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति में एक नई हलचल देखने को मिल सकती है। उन्हें यह साबित करना होगा कि वह प्रदेश के लोगों की अपेक्षाओं पर खरे उतर सकते हैं।