भारतीय नौसेना ने डीआरडीओ के सहयोग से स्वदेशी नौसैनिक एंटी-शिप मिसाइल का किया सफल परीक्षण

भारतीय नौसेना ने मंगलवार को डीआरडीओ के सहयोग से स्वदेशी नौसैनिक एंटी-शिप मिसाइल का सफल परीक्षण किया। मिसाइल प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। मिसाइल में कई नई प्रौद्योगिकियां शामिल हैं,

भारतीय नौसेना ने डीआरडीओ के सहयोग से स्वदेशी नौसैनिक एंटी-शिप मिसाइल का किया सफल परीक्षण
भारतीय नौसेना ने डीआरडीओ के सहयोग से स्वदेशी नौसैनिक एंटी-शिप मिसाइल का किया सफल परीक्षण

नई दिल्ली : भारतीय नौसेना ने मंगलवार को डीआरडीओ के सहयोग से स्वदेशी नौसैनिक एंटी-शिप मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह मिसाइल प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। मिसाइल में कई नई तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है जिसमें हेलीकॉप्टर के लिए स्वदेशी रूप से विकसित लांचर भी शामिल है।

सेना ने डीआरडीओ के सहयोग से मंगलवार को स्वदेशी नौसैनिक एंटी शिप मिसाइल का सफल परीक्षण किया। सीकिंग 42बी हेलीकॉप्टर से यह परीक्षण किया गया। मिसाइल तकनीक के मामले में आत्मनिर्भरता की दिशा में यह परीक्षण बेहद अहम कदम है।

मिसाइल प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बड़ा कदम

अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से पोस्ट में नौसेना ने कहा कि यह परीक्षण मिसाइल प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इस मिसाइल का पहली बार परीक्षण मई 2022 में किया गया था।

बता दें कि भारतीय नौसेना द्वारा किए गए इस परीक्षण में मिसाइल की सीकर और गाइडेंस तकनीक का भी परीक्षण किया गया। परीक्षण के बाद जारी बयान के अनुसार, मिसाइल में कई नई तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें हेलीकॉप्टर के लिए स्वदेशी रूप से विकसित लांचर भी शामिल है। कोई मिसाइल कितनी प्रभावी है, यह उसकी गाइडेंस तकनीक पर ही निर्भर करता है।

इस मिसाइल में एक उन्नत प्रोपल्शन सिस्टम और एक उन्नत गाइडेंस सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है। प्रोपल्शन सिस्टम मिसाइल को लंबी दूरी तक ले जाने में सक्षम बनाता है, जबकि गाइडेंस सिस्टम इसे लक्ष्य तक सटीक रूप से ले जाने में मदद करता है।

इस मिसाइल का परीक्षण सफल होने से भारतीय नौसेना की ताकत में इजाफा होगा। यह मिसाइल भारतीय नौसेना को अपने दुश्मनों पर बढ़त हासिल करने में मदद करेगी।