राजस्थान विधानसभा चुनाव में नामांकन से पहले दल-बदल का सिलसिला जारी
राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन का कल आखिरी दिन है, लेकिन प्रत्याशियों के दल-बदल का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा है. रविवार को नामांकन से एक दिन पहले कई बड़े नेताओं ने पार्टी बदलकर दूसरी पार्टी का दामन थाम लिया है.
जयपुर : राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन का कल आखिरी दिन है, लेकिन प्रत्याशियों के दल-बदल का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा है. रविवार को नामांकन से एक दिन पहले कई बड़े नेताओं ने पार्टी बदलकर दूसरी पार्टी का दामन थाम लिया है.
कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए गिर्राज सिंह मलिंगा
धौलपुर जिले के बाड़ी से बसपा की टिकट पर चुनाव जीतकर कांग्रेस में शामिल हुए गिर्राज सिंह मलिंगा को भाजपा बाड़ी सीट से प्रत्याशी बना सकती है. गिर्राज सिंह मलिंगा ने रविवार को आधिकारिक रूप से भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली.
भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए कर्नल सोनाराम
पूर्व भाजपा सांसद कर्नल सोनाराम ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली है. कर्नल सोनाराम एक इंजीनियर हैं, जो भारतीय सेना में अपनी सेवा देने के बाद वर्ष 1996 में कांग्रेस की टिकट पर सासंद चुने गए थे. लगातार तीन बार सांसद चुने गए कर्नल सोनाराम वर्ष 2008 से 2013 के बीच विधायक भी रहे. हालांकि वर्ष 2014 से 2019 तक वो भाजपा की टिकट पर सांसद चुने गए. इस बार भाजपा ने गुढ़ामलानी से टिकट नहीं दिया.
भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए अन्य नेता
भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए अन्य नेताओं में भागीरथ महरिया और प्रशांत सिंह परमार शामिल हैं. भागीरथ महरिया ने कहा कि भाजपा में रहकर मैंने जनता के बीच में काम किया था, लेकिन मुझे टिकट नहीं दिया गया और अब मैं कांग्रेस के साथ रहकर जनता के लिए काम करूंगा. प्रशांत सिंह परमार ने कहा कि भाजपा ने उन्हें बाड़ी से टिकट देने का आश्वासन दिया था. उन्होंने कहा कि अगर बाड़ी से कांग्रेस विश्वास जताती है तो वो बाड़ी से जीतकर आएंगे.
कांग्रेस खेतड़ी से मनीषा गुर्जर को प्रत्याशी बना सकती है
खेतड़ी प्रधान मनीषा गुर्जर और पूर्व विधायक दाताराम गुर्जर ने रविवार को पीपीसी वॉर रू में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की. माना जा रहा है कि इस बार खेतड़ी से मनीषा गुर्जर को कांग्रेस का प्रत्याशी बनाया जा सकता है.
दल-बदल से चुनावी समीकरण बदलने की संभावना
इन दल-बदलों से चुनावी समीकरण बदलने की संभावना बढ़ गई है. कांग्रेस को इन दल-बदलों से फायदा हो सकता है, जबकि भाजपा को नुकसान हो सकता है.